2 माह बाद अब वैश्य संस्था से हटेंगे प्रशासक, एडहॉक कमेटी लेगी सारे नीतिगत फैसले

वैश्य शिक्षण संस्था में जल्दबाजी में प्रशासक बैठाने का फैसला उल्टा पड़ गया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रधान विकास गोयल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रशासक की नियुक्ति के आदेश को तुरंत प्रभाव से वापस लेने के आदेश सरकार को दे दिए हैं। सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर एडिशनल एडवोकेट जनरल हरियाणा को आदेशों में कहा गया है।
कि 30 जुलाई को प्रशासक लगाने के अपने आदेशों को सरकार 5 अक्टूबर से पहले वापस ले लें। इसी के साथ अब नगर निगम आयुक्त प्रदीप गोदारा को वैश्य संस्था के प्रशासक का चार्ज छोड़ना पड़ेगा। इस फैसले के बाद अब प्रधान विकास गोयल के नेतृत्व में संस्था में एडहॉक कमेटी काम कर सकेगी।
प्रदेश सरकार ने अपने ही आदेशों के खिलाफ कर दी थी संस्था में प्रशासक की नियुक्ति
असल में हरियाणा सरकार ने प्रदेश की सभी सोसायटी को 15 मार्च के बाद जिस भी संस्था का कार्यकाल खत्म हो रहा था, उन्हें तीन महीने की एक्सटेंशन दी थी। यह आदेश ही 8 जुलाई को एक्सटेंशन के लिए सभी के लिए आए थे। इसके बाद 30 जुलाई को सरकार ने अपने ही पुराने आदेशों की अवहेलना करते हुए प्रशासक के ताैर पर नगर निगम आयुक्त प्रदीप गाेदारा की नियुक्ति कर दी। इसे लेकर तत्कालीन प्रधान विकास गोयल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस आगस्टिन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाते हुए सरकार को आदेश जारी कर दिया कि 5 अक्टूबर तक प्रशासक के नियुक्ति पत्र को वापस ले लिया जाए। इस आदेश के वापस लेने के तत्काल बाद एडहॉक कमेटी ही संस्था में कार्य करेगी।
संस्था के लिए अलग नियम पर उठाए थे सवाल
प्रधान विकास गोयल ने सरकार की ओर से संस्था पर प्रशासक लगाने के मामले पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि स्टेट रजिस्ट्रार केे स्तर पर लॉकडाउन के दौरान प्रदेश की जिन संस्थाओं के चुनाव लंबित थे, उन्हें एडहॉक कमेटी बनाकर 3 महीने की एक्सटेंशन देने का नोटिफिकेशन जारी किया गया था, लेकिन इसकी पालना सिर्फ वैश्य समाज के लिए नहीं की गई। जोकि सरकार की नीयत पर सवाल उठाता है। सोसायटियों में एडहॉक कमेटी का मकसद संस्थाओं में लॉकडाउन के अटके जरूरी कार्य करवाना था।
संस्था में हैं 25 हजार सदस्य
वैश्य शिक्षण संस्था में 25 हजार आजीवन सदस्य हैं, लेकिन इनमें से सक्रिय सदस्य करीब 16 हजार हैं, जिन्हें वोट डालने का अधिकार है। इसके अलावा 105 कॉलेजियम वाली इस संस्था में 47 कॉलेजियम ही रोहतक से जुड़े हुए हैं, बाकी के 58 कॉलेजियम हरियाणा के अन्य जिलों व दिल्ली-गाजियाबाद में हैं।
यूं चला संस्था में विवादों का घटनाक्रम
- 15 मई को महासचिव व प्रधान ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप जड़े
- 18 मई को गवर्निंग बॉडी बैठक में हंगामा
- 19 मई को दोनों गुट कार्यालय में भिड़े, पुलिस तक पहुंचा मामला
- 20 मई को महासचिव ने जारी किया चुनाव शेड्यूल
- 22 मई को प्रधान ने बुलाई गवर्निंग बॉडी बैठक
- 23 मई को बैठक में पहुंचे 9 सदस्य, नई वोटर लिस्ट पर मंथन
- 29 मई को जिला रजिस्ट्रार ने लिखा चुनाव प्रक्रिया को लेकर पत्र
- 3 जून को डीसी ने बुलाई दोनों गुटों की बैठक
- 5 जून को भाजपा कार्यालय में बुलाई गई दोनों गुटों की बैठक
- 6 जून तक महासचिव ने 67 नामांकन लिए
- 10 जून को नामांकन सूची प्रकाशित
- 13 जून को नामांकन वापसी के अंतिम दिन महासचिव ने चुनाव प्रक्रिया रोकी। प्रधान गुट ने चुनाव अधिकारी नियुक्त करने की मांग पर हाईकोर्ट में केस डाला दिया।
- 31 जुलाई को सरकार ने प्रशासक की नियुक्ति कर दी।
- 5 अगस्त को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3nblsly
कोई टिप्पणी नहीं